सब भैया मिल, दिवारी गाहें सब भैया मिल, दिवारी गाहें
धन्य, हमारी भारतीय संस्कृति, जिसने सिखाया हमें परिवार का मूल्य। धन्य, हमारी भारतीय संस्कृति, जिसने सिखाया हमें परिवार का मूल्य।
न जाने कितने लोगों को पानी पिलाती है गंगा न जाने कितनों को अमृत से जिलाती है गंगा। न जाने कितने लोगों को पानी पिलाती है गंगा न जाने कितनों को अमृत से जिलाती है...
अपनी ही संस्कृति को भूल कहाँ भागे जा रहे हैं, दुनिया भर के लोग तो यहाँ आते जा रहे हैं अपनी ही संस्कृति को भूल कहाँ भागे जा रहे हैं, दुनिया भर के लोग तो यहाँ आते जा...
ऊंचों तुम रखियो, अपनों तिरंगा। जाकी बढ़इयों शान मोरे लाल। ऊंचों तुम रखियो, अपनों तिरंगा। जाकी बढ़इयों शान मोरे लाल।
बच्चों तुम्हारी सफलता पर नाज़ है तुमने भाऱतीय संस्कृति का सम्मान बढ़ा दिया। बच्चों तुम्हारी सफलता पर नाज़ है तुमने भाऱतीय संस्कृति का सम्मान बढ़ा दिया।